फिर मिलेगे
रात के ग्यारह बज रहे थे । । इका दुका लोग ही थे आसपास जो अपनी ट्रैन आने का इंतजार कर रहे थे । ।
वही कुछ थे जो साइड मे सीट पर कुछ दुकानो के नीचे
कपडा बिछाए सो रहे थे । । चारो ओर शांति और कुछ हल्की सी हलचल थी । । मौसम सुहाना था लेकिन उसके लिए गमगीन भी था । । तभी उसकी नजर सामने दुकान पर चीपस और कोक अपने बैग मे रखते लडके पर जाती है । ।
यही स्टेशन यही जंक्शन से तो कहानी शुरू हुई थी और आज यही खत्म भी हो रही थी । । वो एक पल के लिए भी उसकी आँखो से खुद को अलग नही करना चाहती थी । । वो उसके साथ बिताए हर लम्हे को महसूस करना चाहती थी ।
" ट ट ट न... गाडी नंबर दो तीन पाँच शून्य , शारदा एक्परेस ,दिल्ली से लखनऊ जाए वाली गाडी पलेटफोर्म नंबर दो पर आ रही है । । " एक दो तीन बार अनाउंसमेट होती है और उसके कान मानो जय गए थे । । दिल धडकन बढनै लगी थी । । मतलब वो घडी आ गयी थी । । वो पल जिससे वो डरती थी आज वो पल उसके सामने था । । उसकी आँखो मे आँसू जमे हुए अब पिंघलने लगे थे वही साँसे भारी हो रही थी । ।
तभी वो उसके कंधे पर टैप करता है वो पलट कर देखती है तो वो बैग कि जीप बंद करता हुआ उससे नजरे बचा रहा था ताकि वो उसकी आँखो को न पढ ले । । लेकिन वो जितनी भी कोशिश कर ले वो जानती थी कि वो उससे खुद कि आँखो कि नमी छुपा रहा है ताकि ये पल उसके लिए भारी न बन जाए । । वह चेहरे पर नकली मुस्कान ला बैग उसकी ओर बढाता हुआ बोला " सारा सामान रख दिया है और बाहर का कुछ मत खाना । । अंनजान से बात मत करना । । फोन आॅन रखना और किसी का दिया मत लेना और पहुँच कर फोन कर देना । । "
उसकी फिक्र भरी आवाज उसके लिए कोडे के सामान थी । । कुछ नही बदला था वो आज भी बच्चो कि तरह उसे नसीहत दे रहा था । । वो बच्ची नही थी वो बाइस साल कि लडकी थी लेकिन उसके लिए वो वही बुद्धू सी अठारह साल कि लडकी थी जो ट्रैन मे फोन खो आई थी । ।
तभी तेज रफ्तार के साथ ट्रैन आती है वो लडका आगे बढ उसै जो किनारे पर थी उसे पकड अपनी ओर खिचता है । । ट्रैन झू... कर आगे बढती है और वो दम साधे उसके सीने से लगी उसकी खुशबू मे खोई थी । । उसकी शर्ट से आती खूशबू उसे और बेबस कर रही थी । । उसके लिए पहले ही सब आसान नही था और कायनात और बना रही थी । । तभी धीरे धीरे कर ट्रैन रूकति है और वो भी उससे दूर होती है । ।
" वो मै ... " वो आगे कुछ सफाई देता कि वो बोली ।
" ट्रैन रूक गयी है सामान रख लेते है वो ज्यादा देर नही रूकेगी । । " इतना कह वो बैग उठाए आगे कि ओर बढ जाती है । ।
वो दम साधा उसे देख रहा था । । वो कैसे इतनी आसानी से जा रही थी । । क्या ये पल सच था ये उस लडके के लिए भी मुश्किल था कबूलना । । खुद के आँसू को अपनू अंदर उंडेलते वो आगे बढ उसके हाथ से बैग लिए उसके साथ बढ जाता है । । और वो लडकी कुछ पल पहले हुए
उसके लंबस को महसूस कर अपने जज्बातो को संभालने लग जाती है । ।
कही बार कितना मुश्किल हो जाता है न किसी को छोडना। । खासकर तब जब वो शख्स आपकी आदत बन जाए । । वो लडका एक ए सी कंपार्टमेंट के आगे रूक बोला " टिकट ... " वो जो उसकी पुश्त को तक रही थी उसके यू पलट कर अचानक कुछ पूछने पर छटपटा जाती है । । " हाँ वो .. " इतना कह वो पर्स से एक टिकट निकाल उसकी ओर बढा देती है । ।
वो उसके हाथ से वो पेपर ले कंपार्टमेंट चैक कर बोला " यही है .. " इतना कह वो बैग लिए अंदर डिब्बे पर चढ जाता है । । वो भी मरे कदमो समेत उसके साथ बढ जाती है । । टिकट चैक करता हुआ वो एक सीट नंबर पर आकर रूकता है और बैग वही सीट पर रख वो आसपास चैक करता हुआ बोला " खिडकियाँ तो ठीक है । । वही लोग भी फैमली वाले लग रहे है और अगले सटेशन पर भर जाएगी । । दरवाजा और खिडकी बंद रखना । । बैग मे यहाँ रख रहा हूँ ध्यान रखना । । दवाई बैग मे है । । खिडकी बंद रखना । । वैसे तो सब ठीक है " वो उसे सब बता रहा था । । वही वो खुद के कचौटते मन को संभाल रही थी " क्यो है इतनी फिक्र । । मेरे इतना करने के बाद भी । । क्या नफरत नही हुई । । मत जताओ इतना प्यार कि आगे का सफर भारी हो जाए । ।
" इतना वो खुद से कह सकती थी खुद से नही । ।
उसकी सब नसीहतो पर वो बस सिर हिला गयी । । वही वो लडका आखरी बार उसे देखना चाहता था जिसने पूरे रास्ते से लेकर अब तक कुछ नही बोला । । वो जानता था वो कुछ नही बोलेगी । । ऐसी ही थी वो अपने जज्बातो को छुपाने वाली । । लेकिन वो ये भूल गयी कि वो उसके चेहरे को पढ सकता है चाहे वो लाख छुपा ले । ।
तभी कुछ ओर लोग भी कंपार्टमेंट मे आकर अपनी अपनी जगह पर सीट पसारने लगते है तभी उनके सामने वाली सीट मे एक कपल आता है जिसमे शायद पति जा रहा था और पत्नी रोते हुए उससे कुछ कह रही थी । एक पल के लिए उन्हे देख वो नजरे उठा वो एक दूसरे को देखते है । । बस क्या नही था उन आँखो मे वो तो एक नयी दासाता बया कर रहे थे शिकवे , दर्द , शिकायतै , प्यार, तडप सब । । इससे ज्यादा वो नही देख सकते थे लडकी झुका कर नजरे फेर लेती है वही वो भी नजर बदल लेता है । ।
तभी पहला साइरन बजता है । । व धडकने दम जाती है, बेबसी बढने और शरीर कांपने । । छाई हुई चुपी को तोडते हुए वो उसकी ओर देख बोला जो आपस मे उंगली को मरोड रही थी
" कभी वापस आओगी इस शहर मे ... " वो आस लिए बोला । ।
" पता नही ,, वादा नही कर सकती .. " वो नजर झुकाए बोली । ।
" कम से कम शायद ही कह दो .. " वो तडप कर बोला । ।
" लेकिन उस शायद मे भी तो उम्मीद है .. " उसके लाजवाब जवाब उसके लिए आइना थे । ।
" कभी कभार ये झूठी उम्मीदे सच्चाई से कही ज्यादा बेहतर होती है। । वो झूठी उम्मीद ही के लिए कह दो " वो उसकी ओर देख बोला । ।
" शायद आऊगी ... " वो उसकी बात को सुन आँसू अंदर उंडेलते हुऐ बोली । । तभी दूसरा साइरन बजता है । ।
वही दोनो कि धडकने थमने लगती है और गला रूंदने । ।
इन पल को मानो वो थामना चाहते तू लेकिन वक्त कहा रूका है उसने तो बढना है । ।
" अगर वापिस आओगी तो मुझसे तो मिलोगी न.. " ये सवाल उसके लिए उसकी जिंदगी का सबसे कठिन था । ।वही जवाब का उतर र भी ज्यादा मुश्किल था सुनना । ।
" तुम मिलना चाहोगे मुझसे फिर भी ... " वो रूंदी आवाज के साथ । ।
" मै ... तो मिलूँगा ही । । " वो अपने जज्बातो को थामते हुए । ।
" तो मिलकर क्या करोगे मुझसे । । " वो नजरे उठा कर उसकी ओर देख कर बोली जिसकी आँखे बंद थी । ।
" तुमसे मिलकर फिर वही पूँछूँगा .. " वो उसकी आँखो मे देख बोला । ।
" क्या .. ? " वो तडप कर । ।
" फिर कब मिलोगी ... ? " तभी दोनो कि आँखो से आँसू लूडक कर गिरता है । ।
वही तीसरा साइरन बजता है और ट्रैन हल्के हल्के झटके के साथ चालू होती है । ।
वो बिना उसकी ओर देखे गाडी से उतर जाता है और वो दम साधे वही खडी थी । । धीरे धीरे कर ट्रैन बढ जाती हैं वो होश मे आकर दरवाजे के पास जाकर देखती है तो वो वही स्टेशनके प्लेटफार्म नंबर दो पर खडा अपने आँसू को पोछे हाथ हिला नकली मुस्कान के साथ उसे अलविदा कि रस्म अदा कर रहा था । । वो वही बहते आँसू के साथ दरवाजे पर अपना शरीर टिकाए उस शख्स को अपनी आँखो से ओझल होते देख रही थी । ।
जानते वो दोनो थे कि ये मुलाकात आखरी है . . लेकिन फिर भी दोनो के दिल मे दुआ थी कि ये वाली शायद झूठी उम्मीद सच हो जाए वो फिर मिल जाए । ।
शायद वो फिर उस शहर मे आए ...
द एंड ..
A miserable love story
Sometimes goodbye are most difficult than a hii ....
Pls like and comment... Don't forget to follow